Taliban counter attack || पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संबंधों में तनाव अब गंभीर रूप ले चुका है। दोनों देशों के बीच बढ़ती हिंसा और झड़पों ने युद्ध जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। पाकिस्तान द्वारा अफगानिस्तान पर की जा रही लगातार एयर स्ट्राइक्स और तालिबान के उग्रवादी कदमों ने इस विवाद को और भी गहरा कर दिया है।
तालिबान की बढ़ती ताकत और झड़पें
तालिबान का पाकिस्तान पर हमला
तालिबान के करीब 15,000 लड़ाके पाकिस्तान की ओर बढ़ रहे हैं। तालिबान ने पाकिस्तान की दो चौकियों पर कब्जा कर लिया है और कई सैनिकों की हत्या कर दी है।
- मीर अली सीमा पर झड़पें: तालिबान के लड़ाके मीर अली सीमा तक पहुंच गए हैं।
- पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: पाकिस्तानी सेना और वायुसेना ने पेशावर और क्वेटा में सैनिकों की तैनाती कर दी है। इसके अलावा, कुछ सैन्य टुकड़ियां अफगान सीमा पर भी तैनात की गई हैं।
डूरंड रेखा पर विवाद
डूरंड रेखा का विरोध
स्थानीय मीडिया के अनुसार, अफगानिस्तान ने डूरंड रेखा को मानने से इनकार कर दिया है।
- क्या है डूरंड रेखा: यह सीमा 19वीं सदी में ब्रिटिश शासन के दौरान खींची गई थी।
- तालिबान का दावा: तालिबान इसे पश्तून समुदाय के विभाजनकारी रेखा के रूप में देखता है और इसे पाकिस्तान का क्षेत्र मानने से इनकार करता है।
तालिबान के प्रवक्ता इनायतुल्ला खोवाराजमी ने साफ कहा है कि यह इलाका पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है।
खोस्त और पख्तिया सीमा पर झड़पें
खोस्त और पख्तिया प्रांतों के पास सीमा पर सुबह से ही गोलीबारी जारी है। तालिबान ने पाकिस्तान की कई चौकियों को तबाह कर दिया है।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के जटिल संबंध
तालिबान और पाकिस्तान का पुराना इतिहास
पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में तालिबान को स्थापित करने में एक बड़ी भूमिका निभाई थी।
- तालिबान के प्रति समर्थन: पाकिस्तान ने लंबे समय तक तालिबान को समर्थन दिया।
- मौजूदा हालात: अब वही तालिबान पाकिस्तान के खिलाफ खड़ा हो गया है।
क्या हो सकते हैं परिणाम?
युद्ध की संभावना
दोनों देशों के बीच बढ़ता तनाव युद्ध की ओर इशारा करता है।
- आर्थिक संकट: दोनों देशों में पहले से ही आर्थिक अस्थिरता है, ऐसे में युद्ध के हालात स्थिति को और खराब कर सकते हैं।
- क्षेत्रीय शांति पर खतरा: इस विवाद से पूरे दक्षिण एशिया में अस्थिरता फैल सकती है।
आगे की राह
दोनों देशों के बीच बातचीत और कूटनीतिक समाधान की आवश्यकता है। सीमा विवाद और हिंसा को समाप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप भी जरूरी हो सकता है।