बिनोद बाबू । बिनोद बिहारी महतो की जयंती आज:महुदा इंटर महाविद्यालय में हर्षोउल्लास से मनाया गया बिनोद बाबू की जयंति

बिनोद बिहारी महतो पढ़ो और लड़ो का नारा देकर अमर हो गए। चार फरवरी 1973 को अलग झारखंड राज्य निर्माण के लिए दिशोम गुरु शिबू सोरेन प्रसिद्ध मजदूर नेता एके राय टेकलाल महतो आदि के साथ मिलकर उन्‍होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन किया।

पढ़ो और लड़ो का नारा देकर अमर हो गए बिनोद बाबू : सचिव दीपनारायण शर्मा

महुदा इंटर महाविद्यालय में बिनोद बाबू की जयंति धूमधाम से मनाया गया । सर्वप्रथम सचिव एवं प्राचार्य द्वारा बिनोद बाबू के तस्वीर को पुष्प देकर श्रद्धांजलि अर्पित किया । मौके पर महाविद्यालय के सभी शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियो ने तस्वीर पर पुष्प देकर श्रद्धांजलि दिये । संचालन प्रो० उत्तम कुमार के द्वारा किया गया। तत्पश्चात् महाविद्यालय के सचिव ने  बच्चों को संबोधित करते हुए बिनोद बाबू के जीवनी पर प्रकाश डाले । उन्होंने कहा कि  धनबाद जिले के सुदूर बलियापुर बड़ादाहा गांव में जन्मे शिक्षाविद् एवं झारखंड आंदोलन के पुरोधा  बिनोद बिहारी महतो पढ़ो और लड़ो का नारा देकर अमर हो गए। चार फरवरी 1973 को अलग झारखंड राज्य निर्माण के लिए दिशोम गुरु शिबू सोरेन, प्रसिद्ध मजदूर नेता एके राय, टेकलाल महतो आदि के साथ मिलकर उन्‍होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन किया। वर्षों अलग झारखंड राज्य के लिए आंदोलन कर इसे मुकाम तक पहुंचाया। वर्ष 2000 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने अलग झारखंड राज्य की घोषणा की। पढ़ो और लड़ो का नारा देने के साथ सामाजिक कुरीतियों के अलावा महाजनी शोषण का भी तीव्र विरोध कर बिनोद बिहारी ने लोगों के साथ आंदोलन चलाया। यही कारण है कि धनबाद और इसके आसपास जिलों के ग्रामीण जागरूक हुए। अपने अधिकार के लिए आवाज उठानी शुरू की। इसका उन्हें परिणाम भी मिला। बिनोद बिहारी सामाजिक कार्य करने के कारण ही वे आज भी ग्रामीणों के दिलों में बसे हैं। मौके पर सचिव दीपनारायण शर्मा, महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो० श्यामलाल महतो, इंटर के प्राचार्य प्रो० सिकंदर रवानी, परीक्षा नियंत्रक प्रो०  सी एल रवानी, प्रो० भरत महतो, प्रो० मनोहर महतो, प्रो० परिमल सिंह, प्रो० उत्तम कुमार , प्रो० कौशिक बनर्जी, प्रो० आदित्य कुमार , प्रो० सुरेश रजक , प्रो राजकुमार महतो, प्रो० राजकुमार प्रसाद , प्रो० दिनेश महतो, सहित महाविद्यालय के  अन्य शिक्षकेत्तर कर्मचारी मौके पर उपस्थित थे।

बिनोद बिहारी महतो की जन्मशती: झारखंड आंदोलन के पुरोधा थे बिनोद बाबू


सर्वप्रथम वर्ष 1980 में अविभाजित बिहार में टुंडी सीट से जीत कर विधायक बने । वर्ष 1985 में सिंदरी सीट से जीत कर दुबारा तथा वर्ष 1990 में फिर टुंडी से जीत कर लगातार तीसरी बार विधायक बने । वर्ष 1991 के लोकसभा चुनाव में गिरिडीह संसदीय क्षेत्र से जीत कर पहली बार सांसद बने । उनका निधन 18 दिसंबर 1991 को हो गया । बचपन से ही मेधावी बिनोद बिहारी महतो का जन्म धनबाद जिले के बलियापुर प्रखंड अंतर्गत बड़ादाहा गांव में 23 सितंबर 1923 को हुआ था । उनके पिता का नाम माहिंदी महतो उर्फ महेंद्र महतो तथा माता का नाम मंदाकिनी देवी था ।  वर्ष 1941 में मैट्रिक किया ।  इसके बाद परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण पढ़ाई छोड़ दी । दैनिक मजदूर के रूप में धनबाद कोर्ट में काम शुरू किया । फिर समाहरणालय में आपूर्ति विभाग में किरानी की नौकरी मिली । एक बार फिर पढ़ाई एवं नौकरी साथ-साथ की ।  इंटर की पढ़ाई पीके राय कॉलेज से की । स्नातक की पढ़ाई रांची विश्वविद्यालय से पूरी की । वह आजीवन लोगों को शिक्षा के लिए प्रेरित करते रहे । उन्होंने अपने जीवनकाल में कई स्कूल-कॉलेज खोले, जो आज भी चल रहे हैं ।


वकील की टिप्पणी ने वकील बना दिया

जानकार बताते हैं कि बिनोद बाबू जब समाहरणालय में किरानी के रूप में कार्यरत थे, तब एक वकील ने एक दिन कह दिया ‘तुम कितना भी होशियार क्यों नहीं बनो, किरानी ही रहोगे । संभल कर बात करो । यह टिप्पणी उन्हें आहत कर गयी ।  इसके बाद उन्होंने वकील बनने की ठान ली । पटना यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री ली ।  इसके बाद धनबाद कोर्ट में प्रैक्टिस किया. सिविल के बड़े वकील बने ।

छात्र जीवन में सीपीआइ से जुड़े, वार्ड आयुक्त बने

बिनोद बिहारी महतो ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत सीपीआइ(भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी) से की ।  सीपीआइ के विभाजन के बाद वर्ष 1967 में सीपीएम में चले गये । धनबाद लोकसभा सीट से पहली बार 1971 में सीपीएम के टिकट पर चुनाव लड़े । दूसरे स्थान पर रहे । पहली बार धनबाद नगरपालिका के वार्ड नंबर 21 से वार्ड आयुक्त चुने गये ।  बाद में जिला परिषद के उपाध्यक्ष भी बने ।  लंबे समय तक बलियापुर प्रखंड के प्रमुख रहे ।

1973 में झामुमो की स्थापना, बने संस्थापक अध्यक्ष

बिनोद बिहारी महतो ने वर्ष 1972 में सीपीएम से इस्तीफा दे दिया । चार फरवरी 1973 को झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना हुई । झामुमो की स्थापना में दिशोम गुरु शिबू सोरेन व धनबाद के पूर्व सांसद एके राय भी उनके साथ थे । श्री सोरेन को महासचिव बनाया गया था । श्री महतो लगभग एक दशक 1983 तक झामुमो के अध्यक्ष रहे । लाल-हरा मैत्री का भी नारा बुलंद किया था । अलग झारखंड राज्य की लड़ाई को धार दी ।