Katras News: भूमि संकट, आउटसोर्सिंग की विफलता और प्रशासनिक लापरवाही बनी कोयला माफियाओं की ताकत
Katras News: आउटसोर्सिंग बंद होते ही शुरू हुआ अवैध खनन, प्रबंधन ने खींचे हाथ
Katras News: बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लिमिटेड) के एरिया-4 में खनन कार्य के लिए एक आउटसोर्सिंग कंपनी को लगाया गया था, लेकिन भूमि की पर्याप्त उपलब्धता न होने के कारण कंपनी के प्रबंधक उपाध्याय ने कार्य अधूरा छोड़ दिया। इसके बाद कंपनी ने पुनः प्रयास किया और लाइजनिंग की जिम्मेदारी सिंटू सिंह को दी गई। मगर सिर्फ छह महीनों में ही सिंटू सिंह ने भी किनारा कर लिया, जिससे पूरे प्रोजेक्ट पर विराम लग गया।
खनन बंद, लेकिन अवैध कारोबार जोरों पर
आउटसोर्सिंग ठप होने के बाद मनसा मंदिर के पीछे के इलाके में अवैध कोयला खनन की गतिविधियां जोरों पर हैं। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यहां कई अवैध खनन मुहाने बनाए गए हैं जहां से प्रतिदिन भारी मात्रा में कोयला निकाला जा रहा है। इस खनन की न तो सुरक्षा है और न ही कोई नियमन, जिससे बीसीसीएल और राज्य सरकार को करोड़ों के राजस्व की हानि हो रही है।
तेतुलमारी पुलिस और सीआईएसएफ की खामोशी पर उठे सवाल
इन अवैध गतिविधियों की जानकारी होने के बावजूद तेतुलमारी थाना पुलिस और सीआईएसएफ पूरी तरह निष्क्रिय नजर आ रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इन सुरक्षात्मक एजेंसियों की चुप्पी संदेहास्पद है। वहीं, कोयला माफिया बेलगाम होकर इलाके में खुलेआम कारोबार चला रहे हैं, जिससे ना सिर्फ सरकारी राजस्व को नुकसान हो रहा है बल्कि क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था भी खतरे में है।
राजस्व क्षति के साथ बढ़ा पर्यावरणीय खतरा
अवैध कोयला खनन से जहां बीसीसीएल को आर्थिक हानि हो रही है, वहीं दूसरी ओर इससे उत्पन्न हो रहे धूल, धुआं और गड्ढों से पर्यावरण को भी भारी नुकसान हो रहा है। स्थानीय आबादी भी इस कारण स्वास्थ्य और सुरक्षा के खतरे का सामना कर रही है।
प्रबंधन की चुप्पी और प्रशासनिक निष्क्रियता बनी माफियाओं की ढाल
बीसीसीएल प्रबंधन की ओर से अब तक न तो कोई सख्त कार्रवाई हुई है और न ही इन अवैध मुहानों को बंद करने की दिशा में कदम उठाए गए हैं। इसके उलट, माफिया तंत्र और भी अधिक संगठित होता जा रहा है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या बीसीसीएल अपने संसाधनों की रक्षा कर पाएगा या यह लापरवाही भविष्य में बड़ी दुर्घटनाओं को न्योता देगी?
निष्कर्ष
बीसीसीएल एरिया-4 में भूमि प्रबंधन की विफलता और पुलिस की निष्क्रियता ने अवैध कोयला खनन को खुला मैदान दे दिया है। यदि जल्द कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो यह न सिर्फ कंपनी बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए भारी संकट बन सकता है। जरूरत है पारदर्शी जांच और कठोर कार्रवाई की, जिससे इस अवैध व्यापार पर अंकुश लगाया जा सके।