December 2, 2023

THE RALWAY MEN: शिव रवैल द्वारा निर्देशित, यह वेब श्रृंखला भोपाल गैस त्रासदी पर प्रकाश डालती है और रेलवे कर्मियों के एक साहसी समूह का अनुसरण करती है, जो एक साहसी बचाव अभियान में अपने जीवन को खतरे में डालते हैं। ट्रेलर ने महत्वपूर्ण प्रत्याशा पैदा करते हुए, चार-एपिसोड श्रृंखला के लिए मंच तैयार किया है, जो उपलब्ध है 18 नवंबर से नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीमिंग के लिए। आर माधवन, दिव्येंदु, के के मेनन और बाबिल खान सहित प्रभावशाली कलाकारों से सजी यह श्रृंखला, आयुष गुप्ता की पटकथा के साथ, यश राज फिल्म्स द्वारा निर्मित है।

क्या थी भोपाल गैस त्रास्दी:

भारत के  मध्‍य प्रदेश के  भोपाल शहर में 3 दिसम्बर सन् 1984 को एक भयानक औद्योगिक दुर्घटना हुई। इसे भोपाल गैस कांड या भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है। भोपाल स्थित  यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने से एक ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ जिससे लगभग 15000 से अधिक लोगों की जान गई तथा बहुत सारे लोग अनेक तरह की शारीरिक अपंगता से लेकर अंधेपन के भी शिकार हुए। भोपाल गैस काण्ड में मिथाइलआइसोसाइनेट (MIC) नामक ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ था। जिसका उपयोग कीटनाशक बनाने के लिए किया जाता था। मरने वालों के अनुमान पर विभिन्न स्त्रोतों की अपनी-अपनी राय होने से इसमें भिन्नता मिलती है। फिर भी पहले अधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या 2259 थी। मध्यप्रदेश की तत्कालीन सरकार ने 3787 लोगों की गैस से मरने वालों के रूप में पुष्टि की थी। अन्य अनुमान बताते हैं कि 8000 लोगों की मौत तो दो सप्ताहों के अंदर हो गई थी और लगभग अन्य 8000 लोग तो रिसी हुई गैस से फैली संबंधित बीमारियों से मारे गये थे। 2006 में सरकार द्वारा दाखिल एक शपथ पत्र में माना गया था कि रिसाव से करीब 558,125 सीधे तौर पर प्रभावित हुए और आंशिक तौर पर प्रभावित होने वालों की संख्या लगभग 38,478 थी। 3900 तो बुरी तरह प्रभावित हुए एवं पूरी तरह अपंगता के शिकार हो गये। भोपाल गैस त्रासदी को लगातार मानवीय समुदाय और उसके पर्यावास को सबसे ज़्यादा प्रभावित करने वाली औद्योगिक दुर्घटनाओं में गिना जाता रहा है। इसीलिए 1993 में भोपाल की इस त्रासदी पर बनाए गये भोपाल-अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को इस त्रासदी के पर्यावरण और मानव समुदाय पर होने वाले दीर्घकालिक प्रभावों को जानने का काम सौंपा गया था।

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