धनबाद – जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केंद्र ,धनबाद सह स्नातकोत्तर हिंदी विभाग में डॉ.पुष्पा कुमारी , संकायाध्यक्ष छात्र कल्याण की अध्यक्षता में खोरठा के आदिकवि श्रीनिवास पानुरी जी की 103 वीं जयंती सह पखवारा खोरठा दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता झारखंड सरकार से सम्मानित खोरठा फिल्म के निर्देशक, पटकथा लेखक, गीतकार विनय तिवारी ,विशिष्ट अतिथि खोरठा फिल्म पिता की मान बेटियां के अभिनेता अमन राठौर, खोरठा के प्रसिद्ध लेखक महेंद्र प्रबुद्ध, विभागाध्यक्ष डॉ भगवान पाठक डॉ रीता सिंह, डॉ मुकुंद रविदास समन्वयक जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केंद्र आदि के द्वारा आदिकवि श्रीनिवास पानुरी जी की छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं द्वीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुभारंभ किया गया। पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र से सभी अतिथियों का स्वागत किया गया । डॉ.पुष्पा कुमारी ने कहा कि भाषा चाहे कोई भी मुझे उस भाषा का साहित्य को पढ़ना बहुत अच्छा लगता है । कुछ ही दिन पहले डॉ मुकुंद रविदास की कविता संग्रह “कोयला आर माटी “की सभी कविताओं को पढ़ गई। बहुत सहज ,सरल ,झारखंड की संस्कृति , उनकी संवेदनाओ को जानने का अवसर मिला। डॉ भगवान पाठक ने कहा की विश्वविद्यालय में खोरठा भाषा पर पहला कार्यक्रम हो रहा है । इससे पानुरी जी को जानने का अवसर मिला । डॉ रीता सिंह ने कहा कि हिंदी विभाग के साथ ही क्षेत्रीय भाषा विभाग का संचालन हो रहा है । पानुरी जी जैसे व्यक्तित्व को आज जानने का मौका मिला । डॉ मुकुंद रविदास ने कहा कि मैं हिंदी का प्रोफेसर जरूर हूं लेकिन मेरी मातृभाषा खोरठा है । बचपन से बोलता आया हूं लेखन के क्षेत्र से कभी नहीं जुड़ा था । मुझे श्रीनिवास जी का व्यक्तित्व और कृतित्व को जब पढ़ने का मौका मिला तो यह जानकर आश्चर्य हुआ कि 1920 के दशक में जन्में ,देश की आजादी के लिए राष्ट्रीय गीतों ,कविताओं पर लिखने वाले हिंदी के मूर्धन्य साहित्यकारों से अच्छे संबंध रहने के बावजूद भी इन्होंने खोरठा को अपनाया जिस दौर में यह भाषा नीच, पिछड़ा,गंवारों की भाषा कह कर उपेक्षित की जाती थी । संस्कृत के महाकवि कालीदास द्वारा रचित महाकाव्य मेघदूतम का अनुवाद खोरठा से किया है । इससे प्रेरित होकर मैं विश्वविद्यालय में इस विभाग को स्थापित करने का निर्णय लिया और आज मुझे खुशी है कि न केवल जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केंद्र खुला बल्कि छः मासिक सर्टिफिकेट कोर्स की नियमित पढ़ाई हो रही है । आगे स्नातकोत्तर की पढ़ाई हो इसके लिए प्रयासरत हूं । मैंने पच्चीस कविताओं का एक संग्रह भी प्रकाशित किया है कोयला आर माटी जिसे काफी पसंद किया जा रहा है । अतः यह भाषा को सरलता से विस्तार करने के लिए ही आज वर्षांत में यह जयंती व पखवाड़ा खोरठा दिवस कार्यक्रम आयोजित किया है । मुख्य वक्ता खोरठा साहित्यकार, गीतकार विनय तिवारी जो खोरठा के गीतकर ही नहीं बल्कि फिल्म के पटकथा लेखक ,निर्देशक , खोरठा गौरव रत्न सहित सैकड़ों पुरस्कारों से सम्मानित भी है। उन्होंने कहा कि मैं उस दौर से भी गुजरा हूं जब खोरठा बोलना तो दूर सुनना भी पसंद नहीं करते थे । मैने भी बचपन से ही ठान लिया और सबों की जुबां की भाषा कैसे बने उस दिशा पर चिंतन करना शुरू कर दिया । आज परिणाम सबके सामने है । गीत संगीत और फिल्म के माध्यम से आज इस भाषा को न केवल झारखंड के हरेक घरों में घुसा दिया बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में कामयाब हुआ हूं । हिंदी के मूर्धन्य गीतकारों के संग मैंने इस गीत को गवाया है । आज झारखंड का कोई भी ऐसा पर्व त्योहार हो , शादी ,छठी का कार्यक्रम हो बिना खोरठा के गीत गाए अधूरा सा लगता है । मैने कभी गंवारू कहे जाने वाली भाषा को लोगों का कंठहार बना दिया है । अब मैं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाए जाने के मिशन पर काम कर रहा हूं ।विद्यार्थियों के मांग पर उन्होंने खोरठा के कई गीतों जैसे (युगें युगें बेटी भेलहय पोरेक धन सदाय, ए माय गो अंचरा टाँ भोरी दे विदाई ) को गाकर खूब तालियां बटोरी । अमन राठौड़ खोरठा फिल्म के अभिनेता ने कहा कि आज हमारी भाषा अपने ही लोगों के द्वारा उपेक्षित किए जाने के ही पिछड़ा हुआ है । जब तक हम अपनी भाषा पर गर्व नहीं करेंगे ,जब तक हम अपने परिवार में बोलचाल की भाषा के रूप या पठन पाठन लेखन के में स्वीकार्य नहीं करेंगे तब हम और हमारी भाषा पिछड़ती रहेगी । भाषा से ही हमारी संस्कृति जीवित रह सकती है । लोकगीत हो या फिर लोक कलाकार उसको सम्मान देना होगा । सरकार को भी इस दिशा में सोचने की जरूरत है क्योंकि इन बाइस वर्षो में भी साहित्य या संगीत अकादमी का गठन नहीं हुआ है। यह दुर्भाग्य ही है इससे हम जैसे कलाकारों का आत्म मनोबल कमजोर होता है । अमन राठौड़ जी ने पिता की मान बेटियां फिल्म की कुछ संवादों को बोलकर ,अभिनय कर विद्यार्थियों के मन को मोह लिया । छात्र छात्राओं के द्वारा कोयला आर माटी कविता संग्रह से विभिन्न कविताओं का स्वर पाठ किया गया तो वही झारखंड नृत्य की भी प्रस्तुति हुई । पांडव महतो के द्वारा झूमर ,सोहराय गीत गाया गया। महेंद्र प्रबुद्ध जी द्वारा संपादित पत्रिका “परास फूल” का वार्षिकांक का लोकार्पण किया गया एवं सैकड़ों छात्र छात्राओं के बीच निशुल्क वितरण किया गया। कार्यक्रम का संचालन ऋतु प्रियम किया गया एवं मुकुंद रविदास जी के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया । उपस्थित छात्र छात्राओं में प्रिया कुमारी , रानी कुमारी , रानी गोस्वामी , गीता , विकास , किशन , शीला , बैजन्ती , सबीदा खातून, खुशबू सिंह , चंपा, सुनीता , लक्ष्मी , नमिता , बेबी, कोमल , विकास , राहुल,अनामिका ,सुधा ,निधि ,पूजा ,अभिषेक ,मंचन,स्वाति ,मधु,डोली,मोनालिसा ,बंदना,उषा ,आर्या , कनक,प्रियंका,सुरेश,स्मृति सहित सैकड़ों छात्राएं उपस्थित थे । सभी ने खोरठा दिवस के साथ नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनाएं दिया ।
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