धनबाद: शस्त्र और शास्त्र से बुद्धि और बल का आपसी समन्वय होता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लिए दोनों ही जरूरी हैं। शास्त्र जीवन के लिए व्यवहारिक ज्ञान प्रदान करते है और शस्त्र दुष्टों से रक्षा करते हैं। शास्त्र जीवन जीना सीखाता है और शस्त्र जीवन की रक्षा करना सीखाता है। यह उदगार पाठशाला महाविद्यालय, मतारी में शनिवार को बच्चों को संबोधित तथा लाठी वितरण करते हुए पाठशाला के संस्थापक और कोयला अधिकारी देव कुमार वर्मा ने व्यक्त किए।पाठशाला विद्यालय 10 वर्षों से झारखंड और अन्य राज्यों में हजारों बच्चों को नि:शुल्क शिक्षित करने की मुहिम चला रही है।इसी कड़ी को आगे बढ़ते हुए पाठशाला के सभी विद्यालयों में बच्चों को आत्मरक्षा का गुण भी सीखना प्रारंभ किया गया। इसका प्रारंभ लाठी चलाने से की गई सभी बच्चों को उनके उम्र के हिसाब से लाठी का वितरण किया गया और उन्हें एक कुशल शिक्षक द्वारा आत्मरक्षा के लिए लाठी का प्रयोग के बारे में जानकारी देनी प्रारंभ की गई है। इस जानकारी में शुरुआत पर बच्चों को सिर्फ प्रतिदिन हुए व्यायाम के साथ लाठी चलाना भी सिखाया जाएगा और अगर यह प्रयास सफल रहा तो अन्य विद्यालयों में भी इसकी शुरुआत की जाएगी।इस प्रयोग में विद्यालय के शिक्षक शिव कुमार शर्मा, नीलकंठ महतो, लक्ष्मण कुमार, मुकेश महतो, सूरज कुमार मंडल, लीलू और रोशन कुमार शामिल रहे।
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