योग शिविर के लिए चुकाना पड़ेगा बाबा को सर्विस टैक्स, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now
WhatsApp Channel Join WhatsApp

दिल्ली : बाबा रामदेव के पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा. कोर्ट ने अपीलीय न्यायाधिकरण के उस फैसले को बरकरार रखा जिसमें ट्रस्ट को योग शिविरों के आयोजन के लिए प्रवेश शुल्क लेने पर सेवा कर का भुगतान करने को कहा गया था. जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (सीईएसटीएटी) की इलाहाबाद पीठ के पांच अक्टूबर, 2023 को आए फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.पीठ ने ट्रस्ट की अपील खारिज करते हुए कहा, “न्यायाधिकरण ने ठीक ही कहा है कि शुल्क वाले शिविरों में योग करना एक सेवा है. हमें इस आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं मिला. अपील खारिज की जाती है.”सीईएसटीएटी ने अपने आदेश में कहा था कि पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की तरफ से आयोजित आवासीय एवं गैर-आवासीय योग शिविरों में शामिल होने के लिए शुल्क लिया जाता है, लिहाजा यह ‘स्वास्थ्य और फिटनेस सेवा’ की श्रेणी में आता है और इस पर सेवा कर लगेगा.

योग कैंप के लिए ली गई फीस, जो सर्विस के दायरे में आती है: न्यायाधिकरण

योग गुरु रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के अधीन काम करने वाला यह ट्रस्ट विभिन्न शिविरों में योग प्रशिक्षण प्रदान करने में लगा हुआ था. न्यायाधिकरण ने अपने आदेश में कहा था कि प्रतिभागियों से दान के रूप में योग शिविरों के लिए शुल्क एकत्र किया गया था. हालांकि यह राशि दान के रूप में एकत्र की गई थी, लेकिन यह उक्त सेवाएं प्रदान करने के लिए शुल्क ही था. इसलिए यह शुल्क की परिभाषा के तहत आता है.

4.5 करोड़ रुपये का भरना होगा टैक्स

सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क, मेरठ रेंज के आयुक्त ने अक्टूबर, 2006 से मार्च, 2011 के लिए जुर्माना और ब्याज सहित लगभग 4.5 करोड़ रुपये के सेवा कर की मांग की थी. इसके जवाब में ट्रस्ट ने दलील दी थी कि वह ऐसी सेवाएं प्रदान कर रहा है जो बीमारियों के इलाज के लिए हैं. इसमें कहा गया था कि ये सेवाएं ‘स्वास्थ्य और फिटनेस सेवा’ के तहत कर-योग्य नहीं हैं. अब पतंजलि को ये 4.5 करोड़ रुपये भरने होंगे.